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तीन साहित्यकार काव्य कृष्ण सम्मान से अलंकृत
इंदौर. भारतीय नारी वो होती है जो पति के मन की बात स्वयं जान ले जैसे सीताजी ने राम के मन को पढ़ लिया था.
यह बात कवि सत्यनारायण सत्तन ने श्री मध्यभारत हिन्दी साहित्य समिति में स्व. रामकृष्ण श्रीवास्तव की स्मृति में आयोजित काव्य कृष्ण सम्मान समारेाह में कही. उन्होंने रामायण का प्रसंग बताते हुए कहा कि जब केवट राम लक्ष्मण सीता को नदी पार कराते हैं तो राम के मन में भाव आते हैं कि वह केवट को क्या देंगे? इसी बात को सीता महसूस कर अपनी अंगूठी केवट को दान देती है.
वहीं वरिष्ठ साहित्यकार हरेराम वाजपेई ने कहा कि आज के भैतिकवादी समय में जहाँ लोग वर्तमान को याद नहीं करते- तब श्रीवास्तव परिवार ने स्व. रामकृष्ण को साहित्य के माध्यम से स्मरण कर अमृत्व प्रदान किया है. सरस्वती वंदना डाँ शशि श्रीवास्तव ने की. स्वागत उद््बोद्धन कार्यक्रम संयोजिका प्रतिभा श्रीवास्तव ने दिया.
अतिथि साहित्यकारों का परिचय वामा साहित्य मंच की अध्यक्षा डां पद्मा राजेन्द्र एवं सम्मानित साहित्यकारों का परिचय ज्योति जैन ने दिया. इस अवसर पर शहर के जाने माने युवा कवि अरूण ठाकरे, पं संतोष मिश्र और महू से डॉ. शशि श्रीवास्तव को उनके उत्कृ ष्ठ लेखन के लिए काव्य कृष्ण सम्मान से सम्मानित किया गया.
इस अवसर पर शौर्य पाराशर ने श्लोक वाचन और बालकवि दिव्यांश व मितांशी श्रीवास्तव ने काव्य पाठ किया. कार्यक्रम की अध्यक्षता राष्ट्रीय कवि सत्यनारायण सत्तन ने की. मुख्य अतिथि वरिष्ठ साहित्यकार हरेराम वाजपेई एवं विशेष अतिथि प्रतीक श्रीवास्तव थे. मंच संचालन मुकेश इन्दौरी ने एवं आभार सौमित्र श्रीवास्तव ने माना.
इस अवसर पर सूर्यकांत नागर , चन्द्रसेन विराट , प्रदीप नवीन , प्रभु त्रिवेदी, संतोष मोहंती , रंजना फतेहपुरकर , राजीव श्रीवास्तव , प्रवीण श्रीवास्तव , ऋतु श्रीवास्तव ज्योति श्रीवास्तव सहित शहर की जानी साहित्यिक संस्था हिन्दी परिवार, वामा साहित्य मंच , रंजन कलश एवं अखंड संडे के कई सदस्य विशेष रूप से उपस्थित थे.